तू भी लेती सांस है,
पत्थर नहीं इंसान हैं।
कोमल मन और भोला सा चेहरा,
जज्बातों की अनोखी मिसाल है।
ममता का आंचल ओढ़े रहती है।
आंगन की तुलसी को महकती,
हंसी ठिठोली कर सबको भाती।
फिर क्यों तू परेशान है,
मां-बाप के प्यार से अंजान है।
आती है मुस्किले जीवन में माना मैने,
पर तू हार क्यों मान लेती है।
खड़ा है तेरे पीछे तेरा परिवार,
तू ये जान ले ,
और निडर होकर मुसीबत का आ मिलकर
शंघार करे।