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Wednesday, May 5, 2021

बेटा नहीं तू बेटी है


 तू भी लेती सांस है,

पत्थर नहीं इंसान हैं।

कोमल मन और भोला सा चेहरा,

जज्बातों की अनोखी मिसाल है।

बेटा नही तू बेटी है,

ममता का आंचल ओढ़े रहती है।

आंगन की तुलसी को महकती,

हंसी ठिठोली कर सबको भाती।

फिर क्यों तू परेशान है,

मां-बाप के प्यार से अंजान है।

आती है मुस्किले जीवन में माना मैने,

पर तू हार क्यों मान लेती है।

खड़ा है तेरे पीछे तेरा परिवार,

तू ये जान ले ,

और निडर होकर मुसीबत का आ मिलकर 

शंघार करे।


Tuesday, May 4, 2021

आखरी खत जो तुझे लिखा है

 



आखरी खत जो तुझे लिखा है,

हां हां तेरे नाम लिखा है।

भूल ना जाना तू  मेरी महोब्बत को,

इसलिए तुझे ये खत लिखा है।

कुछ दर्द छिपे है इस दिल में ,

बया करूंगा जो धीरे–धीरे।

मोहब्बत हुई थी तुझसे, जज्बात जुड़े है इस दिल में।

शायद तू  समझेगी नहीं, शायद में समझा पाऊंगा नहीं।

पर तू खुश रहना , राजीखुशी रहना।

याद रखना बस तू इतना, की तू थी और तू ही रहेगी।

आखरी खत जो तुझे लिखा है,

हां हां तेरे नाम लिखा है।


Monday, May 3, 2021

बेवफा वो खुद हे

 






बेवफा वो खुद हे, और इल्जाम किसी और को देती है।
पहले नाम था जिन होठों पर मेरा, अब वो नाम किसी और का लेती है।
 कभी वादा किया था साथ निभाने का मुझसे,
आज उस वादे के साथ किसी और के साथ रहती है।

पहला प्यार

 



देखा था पहली दफा उन्हें उनकी ही गली में ।

ना जाने क्यों दिल दे दिया उनको मैंने उनकी ही गली में।

नजरों से जैसे वो कुछ बता रही थी,

थोड़ा ध्यान से देखा तो शायद वो शरमा रही थी।

हल्का सा डर था मेरे अंदर , जो मुझे सता रहा था,

उनसे बात ना  करू ये खुद को समझा रहा था।

पता चला की वो पगली प्यार से डरती थी,

दर्द था छुपा उसके अंदर जिसे कहने से डरती थी।

गुजरी थी वो भी उस दर्द से जिस दर्द से गुजरा था में कभी। 

में तो उभर गया पर शायद वो ना उभर पाए कभी।


Sunday, May 2, 2021

पहली मुलाकात

 


याद हे मुझको वो तेरा और मेरा टकराना,

खुली हवा में भी अपनी सिसकीयों को छिपाना।

मेरा तुझे देखना और देखते ही जाना,

और तेरा मुझे देखते ही शर्माना।

ना सोचा था ये मुलाकात एक यादगार लम्हा बन जायेगी।

जिसे भूलने में शायद उम्र लग जायेगी।

माना तुझे आज कुछ याद नहीं,

पर वो लम्हा तू भी भूल जाए तेरी इतनी औकात नही।

तेरी बेवफाई के किस्से बेहिसाब लिख देंगे


कभी कागज पर एक शब्द लिखने से डर लगता था।
आज तुझपे पूरी किताब लिख देंगे ,
यादे बहुत है भूल जाने को, पर तेरी बेवफाई के किस्से बेहिसाब लिख देंगे।


मिलो कभी चाय पे

Dead To Write

                          मिलो कभी चाय पे ,कुछ बाते करेंगे,

                                                     तुम आंखों से कहना, हम दिल से सुनेंगे |

भगवा ही है रंग मेरा

                                     


Dead To Write

भगवा ही है रंग मेरा,

भगवा ही पहचान ।

सूत्र धारी अंग मेरा,

जनेऊ ही वरदान।

तिलक शिसोभित मस्तक रेखा,

कंठ में रुद्राक्ष।

भला हो या बुरा धरती पर,

सबको मेरी आस।

रुद्र का वंशज हू मे,

तेजस मेरी चाल।

अर्जुन सी मस्तक रेखा,

कर्ण जैसा बलवान।

 सोचता हु कभी दो अल्फाजों में लिख दू तुम्हे, पर तुमसे जुड़ पाए ऐसे अल्फाज नहीं बनते, और यूं ख़ामोश हुई हो तुम खुद से, की तुम्हे बयां कर सकूं...