बेवफा वो खुद हे, और इल्जाम किसी और को देती है।
पहले नाम था जिन होठों पर मेरा, अब वो नाम किसी और का लेती है।
कभी वादा किया था साथ निभाने का मुझसे,
आज उस वादे के साथ किसी और के साथ रहती है।
सोचता हु कभी दो अल्फाजों में लिख दू तुम्हे, पर तुमसे जुड़ पाए ऐसे अल्फाज नहीं बनते, और यूं ख़ामोश हुई हो तुम खुद से, की तुम्हे बयां कर सकूं...
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