देखा था पहली दफा उन्हें उनकी ही गली में ।
ना जाने क्यों दिल दे दिया उनको मैंने उनकी ही गली में।
नजरों से जैसे वो कुछ बता रही थी,
थोड़ा ध्यान से देखा तो शायद वो शरमा रही थी।
हल्का सा डर था मेरे अंदर , जो मुझे सता रहा था,
उनसे बात ना करू ये खुद को समझा रहा था।
पता चला की वो पगली प्यार से डरती थी,
दर्द था छुपा उसके अंदर जिसे कहने से डरती थी।
गुजरी थी वो भी उस दर्द से जिस दर्द से गुजरा था में कभी।
में तो उभर गया पर शायद वो ना उभर पाए कभी।
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