याद हे मुझको वो तेरा और मेरा टकराना,
खुली हवा में भी अपनी सिसकीयों को छिपाना।
मेरा तुझे देखना और देखते ही जाना,
और तेरा मुझे देखते ही शर्माना।
ना सोचा था ये मुलाकात एक यादगार लम्हा बन जायेगी।
जिसे भूलने में शायद उम्र लग जायेगी।
माना तुझे आज कुछ याद नहीं,
पर वो लम्हा तू भी भूल जाए तेरी इतनी औकात नही।
bahut badhiya sir
ReplyDeletethanks bhai
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